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कुछ तो बात है मुझे में भी..!!


कौन हूं मैं कैसी हूं मैं क्यूं हूं मैं,

कोई तो बताए मुझे..

क्यों सहती हूं मैं,

क्यों बार बार अपने ही मन को मारती हूं मैं..

और क्यों हर बार ही रोती हूं मैं,

कोई तो बताए मुझे..

क्यों आयी मैं यहां,

जो हर बार मिलती है मुझे ही सजा..

क्यों छीन लिया गया मेरा सपना,

क्यों मार दिया गया मेरा अरमान..

कोई तो बताए मुझे…

क्यों नहीं मिला मुझे बराबर का सम्मान,

क्यों बना दी गई मैं बस एक पहचान..

क्यों लोग कर देते हैं मुझे जान कर भी अनजान..

कुछ तो बात है मुझे में भी,

कुछ तो खास है मुझे में भी, और कुछ तो राज है मुझे में भी..

क्यों बना दिया गया दुखों को मेरा बस एक सपना,

क्यों नहीं लगा मुझे कोई अपना…

कोई तो बताए मुझे…

क्यों सहती पे सहती गई मैं,

क्यों आंसू की तरह बहती गई मैं..

क्यों किसी के लिए खास नहीं मैं,

क्यों किसी की आस नहीं मैं,

और क्यों आज अपनों के ही साथ नहीं मैं..

कौन हूं मैं कैसी हूं मैं क्यूं हूं मैं,

कोई तो बताए मुझे…

17 thoughts on “कुछ तो बात है मुझे में भी..!!”

  1. इन सवालों का पुरुष प्रधान समाज में कोई जवाब नही है ,आपको अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़नी होगी ….जो चल रही है , मुझे उम्मीद है इस परम्परागत सामाजिक विचारधारा से जल्द मुक्ति मिलेगी,और समानता का सवेरा होगा।

    बहुत अच्छा लिखा आपने

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